शुक्रवार, ५ सप्टेंबर, २००८

कविता

तू अगर उनके और करीब होता
tU BaI GaUmata kivataAaoM gajalaaoM kao baahaoM maoM samaoTo
jaIvana yaU^ saccaa[-yaaoM sao dUr na haota.

पार्टी प्रोग्राम

हमारा संविधान,
जिस लूट की इजाजत नही देता,
हम उसे भ्रष्टाचार कहते है।
हमारा संविधान,
जिस लूट की इजाजत देता है,
हम उसे मुनाफा सूद और लगन कहते है।
हम मजदुर गरीब किसान,
दोनों ही लूट की कब्र खोदे गे
अपने पार्टी प्रोग्राम में खुलेआम हम ऐलान करते है।
साम्राज्यवादी पूंजीपति जमींदार हमें
भले ही राष्ट्रद्रोही, आतंकवादी हत्यारा कहे
समस्त मिहनत कस जन गन हमें लालसलाम कहते है।

शुक्रवार, ८ ऑगस्ट, २००८

ऐलान

इन्सान अगर बनना है, तो वह नजर पैदा कर,
जुल्मो- सितम के दर पे कभी न झुके, वह सर पैदा कर ।

संगठित हो लड़ने के सिवा और कोई रास्ता नही ,
शोषित-आवाम के दिलो में ये समझ इस कदर पैदा कर।

विरोध से विद्रोह तक का सफर हम तै कर के रहे गे ,
अपने हक़ के लिए जो मर मिटे, वह जिगर पैदा कर।

फ़िर न बहाई कोई खून की नदी धर्म जाती के नाम पर,
हैवानो के दिलो में तू दहसत इस कदर पैदा कर ।

जहालत में क्यों है सिर्फ़ मिहनतकसो की ही जिंदगी,
जुल्मी व्यवस्था पे तू ऐसे प्रश्न निरंतर पैदा कर ।

कठघरे में खड़ी है थैलीशाहों जमींदारो की ये जुल्मी हुकूमत ,
मिटा दे जो ये जुल्मी व्यवस्था तू ऐसा तूफानी समर पैदा कर ।